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निलंबित हुए बाराबनी थाना प्रभारी, मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सख्त हुई पुलिस

गुरुवार शाम को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नवान्न में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने निचले स्तर के पुलिसकर्मियों को कोयला और बालू तस्करी में कथित संलिप्तता के लिए फटकार लगाई

22 Nov 2024

निलंबित हुए बाराबनी थाना प्रभारी, मुख्यमंत्री के आदेश के बाद सख्त हुई पुलिस

पश्चिम बंगाल के बाराबनी थाना के प्रभारी मनोरंजन मंडल को अचानक निलंबित कर दिया गया है। निलंबन का यह फैसला मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा कोयला और बालू तस्करी पर सख्त बयान देने के कुछ ही घंटों बाद आया। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, मनोरंजन मंडल पर कर्तव्य में लापरवाही का आरोप है, लेकिन यह निलंबन मुख्यमंत्री की चेतावनी के बाद होने के कारण कई सवाल खड़े कर रहा है।

गुरुवार शाम को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नवान्न में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने निचले स्तर के पुलिसकर्मियों को कोयला और बालू तस्करी में कथित संलिप्तता के लिए फटकार लगाई। उन्होंने चेतावनी दी थी कि इस तरह की गतिविधियों में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उसी रात, आसनसोल दुर्गापुर पुलिस आयुक्त सुनील कुमार चौधरी ने मनोरंजन मंडल को निलंबित कर दिया। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया कि किस घटना के आधार पर यह कार्रवाई की गई।

इससे पहले, मनोरंजन मंडल समेत कुछ अन्य थाना प्रभारियों के तबादले का आदेश जारी किया गया था। खबर थी कि मनोरंजन मंडल को अंडाल थाना का प्रभार दिया जा सकता है। लेकिन निलंबन के फैसले ने इसे और पेचीदा बना दिया है।

मुख्यमंत्री ने कोयला और बालू तस्करी के लिए केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि सीआईएसएफ की मिलीभगत के बिना यह तस्करी संभव नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने पुलिसकर्मियों के एक वर्ग पर भी गंभीर आरोप लगाए कि वे सीआईएसएफ के साथ मिलकर इन अवैध गतिविधियों में शामिल हैं।

कोयला और बालू तस्करी के मामलों में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के नाम बार-बार सामने आए हैं। विपक्ष का आरोप है कि तस्करों को सत्ताधारी दल के नेताओं का संरक्षण प्राप्त है। तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दावा किया है कि कोयला खदानों की सुरक्षा राज्य सरकार के अधीन नहीं है, बल्कि यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है।

मनोरंजन मंडल के निलंबन को मुख्यमंत्री की सख्ती और पुलिस विभाग में अनुशासन लाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। हालांकि, यह घटना तृणमूल कांग्रेस और पुलिस प्रशासन के बीच गहराते विवाद को भी उजागर करती है। यह मामला तस्करी और प्रशासनिक जवाबदेही पर राज्य में नई बहस छेड़ सकता है।

 

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